Posts

Showing posts from April, 2020

स्थानीय पवन Local winds

स्थानीय पवन किसी स्थान विशेष पर चलने वाली पवन स्थानीय पवन कहलाती है ऐसी पवन विशेष स्थान की धरातलीय वह जलवायु की विशेषता से अधिक संबंधित होती है यह ठंडी तथा गर्म दोनों प्रकार की हो सकती है ऐसी पवन प्रभावित प्रदेश के मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है स्थानीय पवन में चिनूक फोहन आदि प्रमुख है (1) चिनूक.    Chinook (2) फोहन.    Fohn (3) सिरोक्को.    Sirocco (4) मिस्ट्रल.        Mistral (5) ब्लिजार्ड    Blizzard (6) बोरा.          Bora (7) खमसिन.      Khamsin (8) हरमेटन      Hermeton (9) लू            Loo ........... English translation......... Local winds Wind moving at a particular place is called local wind. Such wind is more related to the climate of the particular place. It can be both cold and hot. Such wind has a profound effect on the human life of the affected area.  Chinook Fohun etc. is pr...

सामयिक स्थानीय पवन Topical Local winds

Image
सामयिक स्थानीय पवन समुद्र तटीय प्रदेशों में क्रमशः दिन में स्थल गर्म होने एवं रात्रि को जल के शीघ्र ठंडा नहीं हो कर गर्म बने रहने से वहां पवन नियमित रूप से चलती है इन्हें सामयिक पवन भी कहते हैं यह सिर्फ तटीय भागों(8 से 10 किलोमीटर) तक ही प्रभावी रहती है अतः इनका प्रभाव स्थानीय ही बना रहता है इसी कारण यह सामयिक स्थानीय पवन कहीं जाती है। (i) स्थलीय समीर-स्थलीय भाग को दिन में सूर्य की किरणें जल्द गर्म कर देती है तथा रात्रि में यही भाग शीघ्र ठंडा हो जाता है इसी कारण स्थल की पवन रात्रि में जल्दी ही ठंडी भी हो जाती है रात्रि के समय समुद्री जल अपेक्षाकृत गर्म रहता है इसी तापी भिन्नता के कारण रात्रि को स्थल से जल की और पवन चलती है इन पवन को ही स्थलीय समीर कहते हैं वायुमंडल मैं इनकी स्थल से अधिक ऊंचाई 100 मीटर तक मानी गई है यह पवन शुष्क होने से वर्षा नहीं करती है। (ii) सागरीय समीर-सागर की ओर से स्थल की ओर चलने वाली पवन को सागरीय समीर कहते हैं दिन में जल की अपेक्षा स्थल गर्म हो जाता है अतः स्थलीय भाग पर निम्न वायुदाब तथा जलीय भाग पर उच्च वायुदाब रहता है इसी से सागर की ओर से...

मानसून का वितरण Monsoon distribution

मानसून का वितरण विश्व मानचित्र पर मानसूनी पवन भूमध्य रेखा से 40° उत्तर दक्षिण के मध्य न्यूनाधिक रूप में पाई जाती है जहां-जहां मानसूनी हवाएं चलती है वह भाग मानसूनी जलवायु प्रदेश कहे जाते हैं दक्षिणी एशिया चीन तथा जापान में इनकी विशेष विकसित दशा पाई जाती है इसी भांति गिनी की खाड़ी वाला भाग (प. अफ्रीका) अयनवृतीय पूर्वी तथा दक्षिणी पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका और पूर्व में अयनवृत्तीय उत्तरी ऑस्ट्रेलिया का भाग भी संशोधित मानसूनी जलवायु वाले प्रदेश कहलाते हैं इन्हीं अक्षांशों में अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में चलने वाली तूफानी हवाओं को उष्ण चक्रवात, अटलांटिक महासागर में हरिकेनस तथा टोरनैडो पूर्वी प्रशांत महासागर में टायफून तथा पूर्वी आस्ट्रेलिया में विली विली के नाम से पुकारते हैं। ............ English translation........... Monsoon distribution On the world map, the monsoon wind is found in a modular form between 40 ° north and south of the equator, where the monsoon winds move, the parts are called monsoon climatic regions. Their special developed condition is found in southern...

मानसून पवनों का विकास। Development of monsoon winds

Image
वर्तमान समय में मानसून पवनों के विकास या उत्पत्ति का आधार वायुदाब व्यवस्था में परिवर्तन एवं विक्षोभ मंडल की ऊपरी सीमा पर चलने वाली जेटस्ट्रीम पवन को माना जाता है द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व तक तापीय सिद्धांत को ही मुख्य माना जाता था परंपरागत तापीय सिद्धांत के अनुसार ग्रीष्म काल में मध्य व दक्षिणी एशियाई महाद्वीप अधिक तेजी से गर्म हो जाता है इसके प्रभाव से वहां मई महीने तक हिमालय के दक्षिण में थार मरुस्थल में एवं चीन के पश्चिमी शुष्क बेसिन में विशेष गर्मी के कारण सघन निम्न वायुदाब (995 मिलीबार) से भी कम विकसित हो जाता है जो कि विश्वत रेखा से भी कम होता है यही नहीं भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर उप ध्रुवीय मध्य साइबेरिया तक इसका विस्तार रहता है इसी के प्रभाव से दक्षिण में हिंद महासागर की ओर से दक्षिण पश्चिम मानसून एवं पूर्व में प्रशांत महासागर की ओर से पूर्वी मानसून निकटवर्ती स्थल खंडो (क्रमशः भारत व चीन) पर दूर-दूर तक मध्यम से भारी वर्षा कर देते हैं इसके विपरीत सर्दियों में उपयुक्त संपूर्ण एशियाई स्थल खंड में कठोर सर्दी पड़ने से उच्च वायुदाब की दशाएं विकसित हो जाती है इसके प्रभाव से दक्षिण ...

मौसमी या मानसूनी पवने Seasonal or monsoon winds

मानसून शब्द अरबी भाषा के मौसिम से बना है जिसका तात्पर्य मौसम या ऋतु से है इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अरब सागर पर बहने वाली हवा के लिए किया गया था जिनका दिशा वर्ष में दो बार ग्रीष्म काल व शीतकाल मैं पूर्णता बदल जाता है उपोष्ण कटिबंधीय के कुछ महाद्वीप भाग ऐसे हैं जहां वायुदाब व्यवस्था मौसम के अनुसार पूरी तरह बदल जाती है अतः वायु दिशा भी उसी आधार पर बदल जाता है मानसून हवा की दिशा परिवर्तन ही एक मात्र विशेषता नहीं है सामान्य रूप में मानसून हवा धरातल की संवहनिय क्रम है जिसकी उत्पत्ति स्थल तथा जल के विपरीत स्वभाव तथा तापीय भिन्नता के कारण होता है ऐसी दशा दक्षिणी एवं पूर्वी एशिया में विशेषता पाई जाती है दक्षिणी एशिया में विकसित इस व्यवस्था को उष्णकटिबंधीय मानसून एवं चीन व निकटवर्ती भागों के ऊंचे अक्षांशों में विकसित व्यवस्था को शीतोष्ण कटिबंधीय मानसून कहते हैं भारत में मानसून हवाएं ग्रीष्म मैं प्रायः दक्षिणी पश्चिम दिशा से चलती है अतः जब भी पवन समुद्र की ओर से चलती है तब सारे प्रभावित प्रदेश में धरातल के अनुसार वर्षा हो जाती है इसलिए मानसूनी वर्षा को पर्वत्य या धरातलीय वर्षा भी कहते हैं। ...

ध्रुवीय पवन Polar wind

ध्रुवीय पवन ध्रुवीय या ठंडे प्रदेशों के उच्च दाब से उप ध्रुवीय निम्न वायुदाब के प्रदेशों की और लगभग 68° से 70° अक्षांशों तक बनने वाली पवन को ही ध्रुवीय पवन कहते हैं यह अधिक ठंडी भारी एवं परया शुष्क होती है इनका प्रवाह क्षेत्र शीतकाल में कुछ अधिक नीचे तक हो जाता है क्योंकि जब उत्तरी गोलार्ध में महाद्वीपीय उच्च भार की पेटी मौसमी परिवर्तन के प्रभाव में कुछ अधिक निचले अक्षांश तक 65 अंश के आसपास खिसक जाती है उत्तरी गोलार्ध में स्थल खंडों पर उच्च वायुदाब का विशेष विस्तार होने से यह पवन थोड़े समय के लिए नवंबर से फरवरी तक महाद्वीप पर तीव्र बर्फीले तूफानों की भांति चलती है यहां ध्रुवी पूर्वी पवन एवं आद्र पछुआ पवन के मिलने से वाताग्र एवं चक्रवात का विकास एक निरंतर घटना है उत्तरी गोलार्ध में तीव्र गति से चलने वाली ध्रुवीय पवन को नार ईस्टर कहते हैं। विश्व स्तर पर ध्रुवी पवन के प्रवाह की दिशा भी अनिश्चित है संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा में इनकी दिशा पूर्व से होती है जबकि रूस में एक पश्चिम से चलती है अंटार्कटिका महाद्वीप के तटीय भागों मैं यह पूर्व से चलती है जबकि आंतरिक पठार पर पश्चिम से चल...

पछुआ पवन एवं ध्रुवीय सीमांत West Wind and Polar Frontier

पछुआ पवन एवं ध्रुवीय सीमांत उपोष्ण कटिबंधीय उच्च भार की पेटी अश्व अक्षांश से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटी की ओर चलने वाली पवन पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है अतः इन्हें पछुआ पवन कहते हैं यह पवन 35° से 65°  अक्षांश  के मध्य  चलती है उत्तरी गोलार्ध में स्थल खंडो के विशेष विस्तार के प्रभाव से यह शीत ऋतु में अधिक प्रभावी होते हैं तथा अधिक दक्षिण वर्ती मार्ग अपनाकर 28° -30° अक्षांश तक चलती है इनकी गति उत्तरी गोलार्ध में सामान्य से धीमी रहती है गिनती दक्षिणी गोलार्ध की पछुआ पवन अधिक तेज गति से चलती है क्योंकि 40 अक्षांश से अक्षांश के मध्य खुले महासागरों में स्थलीय बाधाएं बहुत कम है इन्हें क्रमशः गरजा चालीसा दहाड़ता पचासा एवं चीखता साठा के नाम से पुकारते हैं। पछुआ पवन जिस क्षेत्र में ध्रुवीय पवनों से मिलती है वहां दोनों पवन में स्पष्ट था विपरीत गुण होने सेवाता गया सीमांत थ्रोंस बनते हैं उनकी सीमा कोही ध्रुवीय सीमांत कहते हैं यहां पछुआ पवन गर्म सागरों से तर होकर महाद्वीप के पश्चिमी तत्वों की और उसे सीमांत बनाकर प्रवेश करती है अतः इनके प्रभाव से वहां शीतोष्ण चक्रव...

अश्व अक्षांश की शांत पेटी

अश्व अक्षांश की  शांत पेटी यह पेटी 30° से 35° अक्षांश के मध्य पाई जाती है यहां उच्च वायुदाब की स्थाई पर की विस्तृत होने से पवन ने लगभग शांत रहते हैं सागर में पवन नहीं चलने से मध्यम  युगीन पालदार जहाज को इसे पार करने में विशेष कठिनाई रहती है मध्य महासागर में ऐसे समय कभी भी लूटने डूबने या नष्ट होने का डर बना रहता था अतः यहां पर जहाज का भार घटाने के लिए व्यापारी घोड़े और भारी समान सागर में फेंक दिया करते थे इसी से यह अश्व अक्षांश कहलाए यहां पर शांत खंड का विकास मुख्यतः विश्वत रेखा से संवहन क्रिया द्वारा जो पवन ऊपर उठती है वह पृथ्वी की दैनिक गति से प्रभावित होकर ध्रूवों की ओर गतिशील होते समय मुड़ती जाती है अतः उनका एक भाग आयन वृत्त के बाद नीचे उतरने लगता है नीचे उतरती हुई यह पवन भारी व शुष्क होने से उच्च वायुदाब का क्षेत्र पैदा करती है इस प्रकार जहां विश्वत रेखा के साथ पेटी में वायु अक्षांश की ओर उठने से बादल की उत्पत्ति करते हैं वही यहां वायु आकाश से भू पृष्ठ पर उतरती है शीतकाल में यह पेटी दक्षिण की ओर खिसक जाने से यहां के उत्तरी भाग में पछुआ पवन बहती है। .........

व्यापारिक पवन एवं उष्णकटिबंधीय मरुस्थल Commercial Wind and Tropical Desert

  व्यापारिक   पवन एवं उष्णकटिबंधीय मरुस्थल  व्यापारिक पवने 20° से 30° अक्षांश के मध्य महासागरों से महाद्वीपों के पूर्वी तटों की ओर बहती है अतः पूर्वी तट पर यह पवन अच्छी वर्षा कर देती है जबकि विशाल स्थल खंडों को पार कर पश्चिमी तट पर स्थल से सागर की ओर बहती है अतः ऐसी पवन वर्षा नहीं करती उल्टे यह प्रभावित प्रदेशों की नमी भी सोख लेती है महाद्वीपों के पूर्वी किनारों की अपेक्षा पश्चिमी किनारों पर प्रति चक्रवार्थी दर्शाए अधिक तीव्र होती है अतः मेघों का निर्माण नहीं होता इसके साथ-साथ महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर इन अक्षांशों में शीतल या ठंडी धराए भी बहती है दोनों ही प्रतिकूल कारणों से महाद्वीप के पश्चिमी तटीय भागों में निरंतर शुष्क ता बनी रहने से मरुस्थलीय दर्शाए पाई जाती है महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में इन्हीं अक्षांशों में विश्व के प्रमुख मरुस्थल सहारा कालाहारी अटाकामा पश्चिम ऑस्ट्रेलिया अरब आदि देश स्थित है। ........... English translation.............. Commercial Wind and Tropical Desert Commercial winds flow from the mid-oceans of 20° to 30° latitudes tow...

व्यापारिक पवने। (trade winds)

Image
यह पवने  उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब के प्रदेशों से विश्वत रेखा निम्न वायुदाब या शांत पेटी की ओर चलती है प्राचीन काल में पाल युक्त व्यापारिक  जलपोत को  इन पवन से परिवहन में सुविधा होने के कारण इन्हें व्यापारिक पवन कहा जाने लगा यह समुद्री भागों में वर्ष पर्यंत निर्बाध चलती रहती है जबकि महाद्वीप पर इनमें काफी परिवर्तन होते रहते हैं उत्तरी गोलार्ध में 30° से 35° अक्षांशों में स्थित उपोषण उच्च वायुदाब पेटी से विश्वत रेखा की और अर्थात उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की दिशा में चलने वाली व्यापारिक पवन उत्तर पूर्वी व्यापारिक पवनें कहते हैं इसी प्रकार दक्षिणी गोलार्ध में 30 °से 35 °अक्षांश से विश्वत रेखा के और अर्थात दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की दिशा में प्रवाहित पवन को दक्षिणी पूर्वी व्यापारिक पवन कहते हैं व्यापारिक पवन का उद्गम उष्णकटिबंधीय सागरों के पूर्वी भाग से होता है व्यापारिक पवन अपेक्षित उच्च अक्षांशों से आने के कारण कुछ ठंडी होती है अतः इनसे अधिक वर्षा नहीं होती है समुद्रों में इनकी गति सामान्यता 15° से 25 °किलोमीटर प्रति घंटा है कर्क एवं मकर रेखा के निकट यह पवन स्था...

डोल्ड्रम्स या शांत पवन की पेटी

Image
इस पेटी के विस्तार विश्वत रेखा के दोनों ओर पांच अक्षांश उत्तर तथा 5 दक्षिण अक्षांशों के मध्य है ऋतु के अनुसार इसके विस्तार में परिवर्तन भी होता है यहां वर्ष पर्यंत तापमान उच्च रहता है। उष्ण धरातल के संपर्क मे आने से वायुमंडल की निचली परत गर्म होने से वायु हल्की होकर ऊपर उठती है तथा ऊपरी वायुमंडल में पहुंचती है संवहन क्रिया द्वारा इस तरह वायु का लंबवत संचार होता है यहां पवन की क्षैतिज गति नगण्य होती है इस वायु पेटी में अधिक हलचल नहीं होने के कारण इसे शांत या डोल्ड्रम्स कहते हैं प्राचीन काल में यह प्रदेश पालदार जहाजों के लिए बहुत कष्टदायक होता था क्योंकि पवन शांत होने के कारण उनका चलन मुश्किल था इस पेटी का विस्तार समस्त भूखंड पर ना होकर तीनों खंडों में है (के) पूर्वी अफ्रीका से प्रशांत महासागर तक हिंद प्रशांत खंड (ख) अफ्रीका का गिनी तट (ग) मध्य अमेरिका का पश्चिमी तटीय खंड। ............. ... English translation .................. The extension of this box is between five latitudes north and 5 south latitudes on both sides of the globe, as per season there is also a change in i...

ग्रहीय भूमंडलीय या स्थाई पवने PLANETARY GLOBAL OR PERMANENT WINDS

भू पृष्ठ पर पवने उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर पृथ्वी की गति एवं फेरल के नियम अनुसार चलती है अतः जब पवनें स्थाई एवं सनातनी वायुदाब की पेटियां के मध्य चलती है तो उन्हें ग्रहीय सनातनी भूमंडलीय या स्थाई पवन कहते हैं। ग्रहीय पवनें निम्न हैं; (i) डोल्ड्रम्स या शांत पवन की पेटी (ii) व्यापारिक पवने (iii) अश्व अक्षांश कि शांत पेटी (iv) पछुआ पालने एवं ध्रुवीय सीमांत (V) ध्रुवीय पवने .......... English translation...............  The earth moves from high air pressure to low air pressure according to the laws of motion and feral of the earth, so when the winds move between the boxes of permanent and eternal air pressure, they are called planetary orbiting global or permanent wind.  Planetary winds are as follows;   (i) Doldrums or box of calm wind  (ii) Business  (iii) Quiet belt of horse latitude  (iv) Westerling and Polar Frontier  (V) Polar Pavne

पवनों को नियंत्रित करने वाले कारक Factors governing wind

धरातल पर पवनों की गति व दिशा को नियंत्रित करने वाले कारक निम्न हैं (1) वायुदाब का ढाल या दाब प्रवणता किन्ही दो स्थानों के मध्य वायुदाब के अंतर को दाब प्रवणता य वायुदाब का ढाल या बैरोमीटर का ढाल कहते हैं पावना की प्रवाह दिशा और गति वायु दाब प्रवणता से ही ज्ञात होती है जब मानचित्र पर समदाब रेखाएं बहुत पास पास होती हैं तो प्रवणता अधिक होती है तथा दूर-दूर खींची होने पर प्रवणता कम होती है पवन अधिक गांव से कम दाम की ओर चलती है तथा पवन की गति वायु दाब प्रवणता पर निर्भर करती है। (2) पृथ्वी का घूर्णन पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर पश्चिम से पूर्व की ओर घूम रही है इस घूर्णन की गति से विच्छेप बल उत्पन्न होता है जो सदैव पवन के लंबवत कार्य करता है पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ उसका वायुमंडल भी घूमता है यह अफवाह अनशक्ति विश्वत रेखा पर सबसे कम तथा ध्रुव पर सर्वाधिक होती है फ्रांसीसी गणितज्ञ कोरियॉलिस ने ही सर्वप्रथम पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न होने वाले अपकेंद्री या विक्षेप बल की खोज की थी जिसके कारण पवन की दिशा में विक्षेप उत्पन्न हो जाता है इस क्षेत्र को कोरियॉलिस बल भी कहते हैं पवन में उत्...

पवने

Image
धरातल के समानांतर गतिशील वायु को जिस की गति एवं दिशा निश्चित नहीं होती है पवन कहते हैं भू पृष्ठ प्रताप की भिन्नता के कारण वायुदाब में भिन्नता उत्पन्न होती है जिसे दूर करने के लिए ही वायु एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर गतिशील होती है फिंच एवं ट्रीवार्था का यह कथन सत्य है कि पवन प्रकृति द्वारा उत्पन्न वायुदाब की असमानता को दूर करने का प्रयास है जिस प्रकार तापमान एवं वायुदाब में सीधा संबंध है उसी प्रकार पवन एवं वायुदाब में सीधा संबंध है किसी स्थान पर तापमान के रहने से जब हवा गर्म होकर ऊपर उठती है तो हवा के स्थानांतरित होने के कारण वहां के वायुदाब कम हो जाता है भूतल पर जहां भी वायुदाब निम्न होगा उस और निकटवर्ती भागों से या अपेक्षाकृत उच्च वायुदाब वाले भागों से पवन बहने लगेगी जब भी पवन ऊपर उठती है तो ऊपरी शीतल वायु के संपर्क में आकर अधिक ठंडी होती है एवं फैलती जाती है ऐसी वायु अतिरिक्त वायु के कारण उत्पन्न दबाव से भारी होकर अन्य स्थान पर नीचे उतरने लगती है इसी भांति विश्वत रेखा से ऊपर उठी पवन ध्रुव की ओर मोड़ने के साथ-साथ पृथ्वी की दैनिक गति से प्रभावित होकर भी अपनी दिशा बदलती रहती है ऐसी अ...

वायुदाब एवं पवन पेटियों का स्थानांतरण (SHIFTING OF PRESSURE AND WIND BELT)

Image
ग्लोब पर वायुदाब की पेटियां का वितरण वर्ष पर्यंत एक जैसा नहीं रहता है सूर्य के उत्तरायण तथा दक्षिणायन होने से सूर्यताप की प्राप्ति में अंतर तथा स्थल एवं जल की प्रकृति में भिन्नता के कारण वायुदाब की पेटियों के विस्तार में परिवर्तन होते रहते हैं इसे ही वायुदाब की पेटियों का खिसकना या स्थानांतरण कहते हैं गर्मियों में जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में होता है तो पेटियां 5° के आसपास उत्तर की ओर एवं सर्दियों में जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध मैं सीधा चमकता है तो पेटियां लगभग पांच दक्षिण की ओर खिसक जाती है इनकी सामान्यतः सिर्फ 21 मार्च एवं 23 सितंबर के आसपास ही रहती है जबकि सूर्य विश्वत रेखा पर सीधा चमकता है अर्थात विश्वत रेखा पेटी 5 °अंश उत्तर से 5° अंश दक्षिण के स्थान पर 0 °अंश से 10 °अंश के मध्य ऋतु के अनुसार उत्तरी या दक्षिणी गोलार्ध में खिसक जाती है इस भांति उपोषण पेटी 30° से 35° के स्थान पर 30° से 40° के मध्य पाई जाती है उप ध्रुवीय पेटी भी इस भाती ध्रुव की ओर खिसक जाती है इसका अंतिम प्रभाव ध्रुवे प्रदेशों पर विशेषकर उत्तरी ध्रुव प्रदेशों में स्पष्ट दिखाई देता है ग्रीष्म काल में उत्तरी ध्रुवीय पेट...
Image
1. विश्वत  रेखीय निम्न वायुदाब पेटी डोलड्रम या शांत खंड क्षेत्र यह पेटी विश्वत रेखा से 5° उत्तर व 5° दक्षिण के बीच फैली है इसका वास्तविक विस्तार भूतल पर सूर्य की स्थिति या मौसम के अनुसार उत्तरायण व दक्षिणायन कि और रहता है यहां दिन-रात बराबर होने एवं सूर्य की किरणों वर्षभर लंबवत पढने से तापमान वर्ष पर्यंत ऊंचे बने रहते हैं इससे यहां की विशेष नम हवाएं अधिक गर्म हवा हल्की होकर निरंतर उठती रहती है इस प्रकार यहां वायुमंडल की संवहन धाराएं उत्पन्न होती है यहां निम्न वायुदाब वर्ष भर बना रहता है एवं क्षैतिज पानी नहीं चलती इसी कारण इस क्षेत्र को डोलड्रम या शांत खंड कहते हैं किंतु यह शांत अवस्था धरातल से कुछ ऊंचाई तक ही सीमित रहती है तीन-चार किलोमीटर की पश्चात पवन गतिशील रहती है अशांत खंड की स्थिति समाप्त हो जाती है धरातल पर निरंतर निम्न वायुदाब बना रहने एवं क्षैतिज पवनों के अभाव में शांत खंड की स्थिति बनी रहती है उनके तापमान रहने से ही यहां स्थाई निम्न वायुदाब रहता है अतः इसे ताप रचित वायुदाब पेटी भी कहते हैं। (2) उष्णकटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी यह पेटी दोनों गोलार्ध में 30° से 3...

वायुदाब का वितरण

Image
वायुदाब वितरण का अध्ययन लंबवत एवं क्षेत्रीय दो रूपों में किया जाता है ( 1) वायुदाब की लंबवत वितरण (vertical distribution of pressure) ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ वायुदाब निरंतर घटता जाता है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से वायुमंडल की निचली परतों में भारी गैस अधिक पाई जाती है एवं ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ वायुमंडल की मोटाई भी निरंतर घटती जाती है सामान्यता कुल वायुदाब का आधा 5.5 किलोमीटर तक एवं शेष का आधा अगले 5.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक अर्थात 11 किलोमीटर के बाद कुल वायुदाब का मात्र एक चौथाई भाग ही शेष वायुमंडल में रह पाता है एवं तीन चौथाई भार प्रारंभ की 11 किलोमीटर की परतों में आ जाता है अधिक ऊंचाई पर गैस तेजी से विरल एवं हल्की होती जाती है इसी कारण अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले वायुयान में कृत्रिम वायु दाब एवं विशेष ऑक्सीजन अनुपात बनाए रखा जाता है पर्वत रोही भी इसी कारण ऊंची पर्वत चोटियों पर चढ़ते समय ऑक्सीजन के के सिलेंडर एवं विशेष सट का उपयोग करता है। (2) वायुदाब का क्षैतिज वितरण एवं वायुदाब पेटियां (horizontal distribution of pressure and pressure belts) पृथ्वी पर वायुदाब के क्षिति...

वायुदाब को प्रभावित करने वाले कारक

भू पृष्ठ पर वायुदाब का वितरण सामान्य नहीं है तथा यह कभी स्थिर भी नहीं रहता वायुदाब के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण निम्न है। (1) तापमान तापमान एवं वायुदाब में विपरीत संबंध होता है जब तापमान ऊंचे रहते हैं तो वायुदाब घटने लगता है एवं जब तापमान नीचे रहते हैं तो वायुदब बढ़ने लगता है इसी कारण जब थर्मामीटर में पारा ऊंचा होता है तो बैरोमीटर में नीचा होता है तो बैरोमीटर में ऊंचा होता है अधिक तापमान होने पर वायु गर्म होकर फैलती है इससे वायु का आयतन बढ़ जाता है तथा भार कम हो जाता हैइसी प्रकार ताप घटने पर वायु ठंडी होकर सिकुड़ती है जिससे उसका भार बढ़ जाता है इसी कारण तापमान बढ़ते जाते हैं वायु दाब घटता जाता है तापमान ओं के कारण ही विश्वत रखिए प्रदेशों में स्थाई निम्न आभार एवं ध्रुवीय प्रदेशों में स्थाई उच्च भार की पेटियों का विकास हुआ है। (2) आद्रता वायुदाब को प्रभावित करने व मैं आद्रता या जलवाष्प का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है जलवाष्प वायु से हल्की होती है अतः वायु में जितनी जलवाष्प उपस्थित होगी वायु उतनी ही हल्की होगी एवं उसका दबाव भी कम होगा शुष्क वायु में आदर वायु की तुलना मे...

वायुमंडलीय दाब एवं पवनें (ATMOSPHERIC PRESSURE AND WIND)

(वायुदाब) AIR PRESSURE वायुमंडल में पाई जाने वाली विभिन्न गैस एवं तत्व भी भौतिक पदार्थ है इनमें भार होता है भू पृष्ठ पर वायुमंडल के दाब या भार को वायुदाब कहते हैं। पृथ्वी की सतह पर प्रति वर्ग सेंटीमीटर क्षेत्र पर वायुदाब 2.7 किलोग्राम हैं सामान्यतः वायुदाब का हमें अनुभव नहीं होता है क्योंकि यह हमारे चारों ओर समान रूप से वितरित है वायुदाब मापने का यंत्र सर्वप्रथम टोरी सेली ने 17 वही 17 वी शताब्दी में बनाया था वायुदाब मापी यंत्र barometer दो प्रकार के होते हैं (I) फोर्टिस बैरोमीटर जोकि पारा युक्त होता है (ii) एनीरॉयड बैरोमीटर जो कि नि द्रव होता है भारत सहित विश्व के अधिकांश देशों में वायु वायु दाब के माप की प्रचलित इकाई मिली बार है इस हेतु इन 4 सेंटीमीटर का प्रयोग भी किया जाता है वायुदाब जलवायु का एक महत्वपूर्ण तत्व है जोकि तापमान एवं वर्षा को प्रभावित करता है तथा भवनों को नियंत्रित करता है। ...............English Translation.............. Various gases and elements found in the atmosphere are also physical substances, they carry loads. The pressure or weight of the atmosphere on...

तापमान की विलोमता का आर्थिक प्रभाव (ECONOMIC EFFECT OF INVERSIONS OF TEMPERATURE)

तापमान की विलोम ता के प्रभाव से धरातल पर घना कोहरा छा जाता है घाटी के ऊपरी व मध्यवर्ती दालों के तापमान कुछ ऊंचे रहते हैं कई बार कुछ प्रदेशों के तापमान घट जाते हैं समुद्र तट पर गर्म और ठंडी धारा से धारा कोहरा पैदा होता है इसी प्रकार शीतकाल में महानगरों का धुआं और नमी मिलकर गाना गोरा पैदा कर देते हैं ऐसा कोहरा जले आना एवं वायु यान के यातायात के लिए विशेष घटक बना रहता है इसी भांति घाटी के निचले भागों में रात्रि को पाला गिरने से वहां की फसलें चौपट हो जाती है संयुक्त राज्य की कैलिफोर्निया की घाटियों एवं मध्यवर्ती यूरोप कि पर्वतीय घाटियों में सर्दियों में निरंतर पाला गिरते रहने से द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व तक भारी हानि उठानी पड़ती है पूर्व के अनुमान से लाभ उठाकर कालांतर के मध्यवर्ती अक्षांशों में फूलों फलो आदि की कृषि घाटियों में विशेष ऊंचाई पर विकसित की गई यमन की पहाड़ी ढालों पर कहवे की खेती में तापीय विलो मन की दशाएं लाभकारी सिद्ध हुई हैं ...................... English Translation..... ................... Due to the inverse of the temperature, there is a dense fog on the ground, the...

तापमान की विलोमता के प्रकार TYPES OF INVERSION OF TEMPERATURE

Image
सामान्यतः ताप विलोम ता के निम्न प्रकार हैं (1 ) धरातलीय ताप विलोमता सामान्यतः शीतोष्ण प्रदेशों के महाद्वीपीय भागों में शीत कााल में रात के पिछले पहर में लंबीी रातों के प्रभाव से पृथ्वीवी  सतह निकटवर्ती वायु के परत से भी अधिक ठंडी हो जाती है क्योंकििि तब पृथ्वी ताप लहरों के स्थान पर शीतलहर का विकिरण या ऋण आत्मक विकिरण होने लगता है इससे पृथ्वी सेे सटी हुई निचली वायु की परत तेजी से ठंडीी होने जबकि इससे ठीक ऊपर कीी वायु में तापमान अपेक्षित कुछ ऊंचे रहते हैं ऐसीीी ताप विलोम ता के विकास केेेे लिए लंबी रातों के साथ साथ शांत एवंं शुष्क वायु काा होन भी आवश्यक है क्योंकि वायु में नमी होने पर गुप्तत ऊष्मा का भी विशेष प्रभाव पड़ता है इसी भारतीय वायु के गतिशील होने पर ठंडीी हवा निकट की गर्मम हवा से मिलकर समकारी प्रभाव डालेगी और देगी क्षेत्रोंं में तो धुवां व अन्य अन्य उस्मा लेने वाली गैसों के प्रभााव से तापमान दिन मैं अधिक बढ़ जाते हैं व रात्रिि में निचली परतो में यह शीघ्र घट जाते हैं इससे भी वहां ताप विलोम तााा विकसित होताा है अंटार्कटिका में लगभग 3 किलोमीटर कीीी ऊंचाई तक धरातलीय ताप विलोम...

तापमान का वितरण DISTRIBUTION OF TEMPERATURE

सामान्य परिचय किताब या उसमें एक प्रकार की ऊर्जा है जिससे कि पदार्थ गर्म होते हैं उस गर्मी की माप को तापमान कहते हैं हमारा वायुमंडल सूर्यताप पृथ्वी से अलग-अलग रूप में ग्रहण करता है तथा उसका विसर्जन करता है वायुमंडल के गर्म हवा ठंडा होने की क्रिया सूर्यताप के अवशषण परिचालन संवहन तथा विकिरण विधियों से होती है भूगोल परिभाषा कोश के अनुसार तापमान 1 जलवायावी तत्व है जैसे उस्मा या सीत जो थर्मामीटर द्वारा सुगमता से नापा जा सकता है तापक्रम के अध्ययन एवं विवेचन में औसत तापमान ताप अंतर यह ताप परिसर जैसी विशिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाता है जिनक ज्ञान आवश्यक है औसत तापमान   ( mean temperature ) किसी स्थान विशेष के उच्चतम तथा न्यूनतम तापमान ओके औसत मूल्य को वहां का औसत तापमान कहते हैं औसत तापमान की गणना दैनिक मासिक एवं वार्षिक आधार पर ली जाती है तापांतर या ताप परिसर  ( Range temperature ) तापमानों के विवेचन में ताप अंतर का विशेष महत्व होता है किसी स्थान के उच्चतम एवं न्यूनतम तापमान में जो अंतर होता है वही ताप अंतर कहलाता है तापांतर दैनिक मासी की आवाज सिक हो सकते हैं मौसम तथा जल...

तापमान की विलोमता या व्युत्क्रम (INVERSION OF TEMPERATURE)

सामान्यतः क्षोभ मंडल में ऊंचाई के तापमान गिरते जाते हैं वहीं विशेष परिस्थितियों में कहीं-कहीं जब तापमान ऊंचाई के साथ बढ़ने लगे तो उसे तापमान की विलोम ता कहते हैं ट्रीवार्था के शब्दों में वह दशा जिसमें पृथ्वी की निकटतम वायु शीतल तथा ऊंचाई पर गर्म पाई जाती है तापमान का प्रति लोमन कहलाती है सामान्यतः सर्दियों की लंबी रातों के पिछले प्रहर में घाटियों की तली में अथवा शीतोष्ण चक्रवात के जल से स्थल की ओर बढ़ने पर ऐसी दशा विकसित हो सकती हैं यह  क्रिया भूमि से संलग्न वायु की निचली परत में कुछ ऊंचाई तक ही होती है इसे विलोम या ऋण आत्मक हास दर ( negative lapse rate)  भी कहते हैं ऐसी विशेष दशा का माप सर्वप्रथम फ्रांस में एफिल टावर के निचले एवं शीर्ष भाग के तापमान को अंकित करते समय सर्दियों में रात्रि के पिछले प्रहर मैं अंकित किया गया यह क्रिया मध्य अक्षांशों ध्रुवीय एवं हिमाच्छादित प्रदेशों में अधिक स्पष्टता से विकसित होती है ताप विलोम अत्ता के विकास के लिए निम्न दशाएं आवश्यक है। ( 1) शीत ऋतु की लंबी रातें   सामान्यता सर्दियों में ही लंबी रातें होती हैं ऐसी रातों के पिछले पहर में प...

तापमान का ऊर्ध्वाधर वितरण (VERTICAL DISTRIBUTION OF TEMPERATURE)

सामान्यतः पहले पृथ्वी की सतह गर्म होती है फिर उसके संपर्क में आने वाली वायु की निचली परत एवं उसके पश्चात अलग-अलग विधि से ऊपर की परतें उससे कुछ कम गर्म होती हैं ज्यों ज्यों हम समुद्र तल से ऊपर की ओर जाते हैं विक्षोभ मंडल में तापमान निरंतर गिरता जाता है क्योंकि मानव के प्रभाव क्षेत्र की दृष्टि से निचली परत का विशेष महत्व है अतः इसी को आधार मानकर तापमान की ऊंचाई के अनुसार वितरण समझाया जाता है क्षोभमंडल के पश्चात समताप मंडल में तापमान स्थिर रहते हैं और साथ निरंतर गिरने को ही तापमान का सामान्य हास एवं तापमान गिरने की दर को सामान्य दर (normal lapse rate) कहते हैं आवश्यक रूप से यह 6.5 °c प्रति किलोमीटर है ऊंचाई पर निरंतर घटता वायुदाब धूल के कण एवं जल वास्तव में कमी आ कारणों से तापमान की हास दर भी सभी ऊंचई पर समान नहीं रहती है प्रारंभ में दो ढाई किलो मीटर तक 5  °c प्रति किलोमीटर इसके पश्चात लगभग 6 किलोमीटर तक 6  °c प्रति किलोमीटर एवं इसके ऊपर 7  °c प्रति किलोमीटर की दर से तापमान गिरता है इस प्रकार वायुमंडल की निचली परतो में वायुदाब अधिक रहने सूर्यता...

जुलाई माह में तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal distribution of temperature in July)

Image
जून माह में सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है इस कारण सारे उत्तरी गोलार्ध में जुलाई का महीना गर्मी का एवं दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी का रहता है उत्तरी गोलार्ध में महाद्वीपों के भीतरी भागो एवं उसने मरुस्थल ओ पर सबसे ऊंचे तापमान रहते हैं औसत तापमान विश्वत रेखा पर 27°c के आसपास एवं कर्क रेखा के निकट 35°c से 40°c के मध्य रहते हैं । यहां पर उच्चतम तापमान अजी जिया लीबिया में 58 °c  तक अंकित किए गए हैं इसी प्रकार जो को बाबाद पाकिस्तान में 57 °c  तक अंकित किए जा चुके हैं इस समय महाद्वीपों पर समताप रेखाएं दूर-दूर एवं विश्वत रेखाएं की ओर झुकाव के लिए होती है दक्षिणी गोलार्ध में समताप रेखाएं अक्षांश के लगभग समांतर ही चलती हैं विश्वत रेखा से 50 °c दक्षिण अक्षांश तक समताप रेखाएं दूर दूर होती हैं अर्थात सर्दियों में दक्षिणी गोलार्ध में महाद्वीपों के तापमान तेजी से नहीं गिरते इस समय 10 °c  समताप रेखा भी 50 अक्षांश के निकट से गुजरती है इसके दक्षिण भाग में बर्फ से ढके अंटार्कटिका महाद्वीप के विस्तार के कारण तापमान तेजी से गिरते हैं एवं समताप रेखाएं पास पास होती है इस प्रकार...