वायुदाब को प्रभावित करने वाले कारक

भू पृष्ठ पर वायुदाब का वितरण सामान्य नहीं है तथा यह कभी स्थिर भी नहीं रहता वायुदाब के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण निम्न है।

(1) तापमान तापमान एवं वायुदाब में विपरीत संबंध होता है जब तापमान ऊंचे रहते हैं तो वायुदाब घटने लगता है एवं जब तापमान नीचे रहते हैं तो वायुदब बढ़ने लगता है इसी कारण जब थर्मामीटर में पारा ऊंचा होता है तो बैरोमीटर में नीचा होता है तो बैरोमीटर में ऊंचा होता है अधिक तापमान होने पर वायु गर्म होकर फैलती है इससे वायु का आयतन बढ़ जाता है तथा भार कम हो जाता हैइसी प्रकार ताप घटने पर वायु ठंडी होकर सिकुड़ती है जिससे उसका भार बढ़ जाता है इसी कारण तापमान बढ़ते जाते हैं वायु दाब घटता जाता है तापमान ओं के कारण ही विश्वत रखिए प्रदेशों में स्थाई निम्न आभार एवं ध्रुवीय प्रदेशों में स्थाई उच्च भार की पेटियों का विकास हुआ है।

(2) आद्रता वायुदाब को प्रभावित करने व मैं आद्रता या जलवाष्प का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है जलवाष्प वायु से हल्की होती है अतः वायु में जितनी जलवाष्प उपस्थित होगी वायु उतनी ही हल्की होगी एवं उसका दबाव भी कम होगा शुष्क वायु में आदर वायु की तुलना में भारत होता है स्थल पर शुष्क वायु के कारण वायुदाब अधिक रहता है जबकि सागरों पर अधिक नमी के कारण वायुदाब कम पाया जाता है मौसम के अनुसार वायु में जलवाष्प की मात्रा कम होती रहती है अतः वायुदाब में भी परिवर्तन होता रहता है।
(3,) ऊंचाई वायुदाब का ऊंचाई से भी निकट का संबंध है जियो जियो ऊंचाई बढ़ती जाती है वायु दाब घटता जाता है समुद्र तल पर वायुदब सबसे अधिक रहता है क्योंकि वायुमंडल की समस्त ऊपरी स्तरों का दबाव यहां पड़ता है प्रारंभ में ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ वायुदाब धीमी गति से गिरता है किंतु अधिक ऊंचाई पर वायुदाब तेजी से गिरता है सामान्यता प्रथम 5.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर कुल वायु का आधा भार होता है अधिक ऊंचाई पर वायु वीर आलिया हल्की होती है समुद्र तल पर जहां वायुदाब 1,013.2 मिली बार रहता है वहीं पर 300 मीटर की ऊंचाई पर 976 दशमलव 5 मिली बार रह जाता है यही वायुदाब 5500 मीटर की ऊंचाई पर गिरकर 506 मिली बार रह जाता है इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन में एकदम कमी आने लगती है इसी कारण सबसे अधिक ऊंचाई पर सांस लेने में कठिनाई होती है।

(4) पृथ्वी की दैनिक गति पृथ्वी की दैनिक गति वायुमंडलीय दाब को अत्यधिक प्रभावित करती है घूमती हुई पृथ्वी में हर वस्तु को अपनी और आकर्षित करने की शक्ति बढ़ जाती है उदाहरण के लिए भूमध्य रेखा पर अधिक गर्म हवाएं ऊपर उठकर और ठंडी होकर 30 °से 35° अक्षांश पर ही उत्तर आती है
पृथ्वी के घूर्णन के कारण हैं उप ध्रुवीय क्षेत्रों से भी अपने मध्यवर्ती या अश्व अक्षांश में नीचे उतरती है इससे मध्यवर्ती अक्षांश पर वायुमंडलीय दाब अत्यधिक बढ़ जाता है एवं पवने शांत रहते हैं।
(5) दैनिक परिवर्तन अभी 5 दिन और रात के समय वायुमंडलीय दाब में होने वाले परिवर्तन से है दोपहर के समय भीतरी स्थलीय भागों में बैरोमीटर में दाग की जो स्थिति होती है वह सागर तट के भागों से भिन्न होती है जबकि रात के समय सागर तल पर बैरोमीटर में पारे का उतार-चढ़ाव कम पाया जाता है बैरोमीटर में पारे का अत्यधिक उतार-चढ़ाव भूमध्य रेखा प्रदेशों के निकट ही अधिक पाया जाता है 60० उत्तरी अक्षांश  मध्य ध्रुव के मध्य वायुदाब का दैनिक परिवर्तन नहीं के बराबर हो जाता है।
सूर्य से जो तापमान प्राप्त होता है उसे पृथ्वी दिन के 10:00 बजे से सूर्यास्त तक ग्रहण करती है तथा उसे ताप को पृथ्वी रात्रि के 10:00 बजे से अगले दिन के 8:00 बजे तक मुक्त करती है वायुमंडलीय तापक्रम के घटने बढ़ने के साथ दाब भी परिवर्तनशील रहता है बैरोमीटर के परीक्षण से पता चला है कि प्रतिदिन वायुदाब दिन में 10:00 बजे से 4:30 बजे तक घटता जाता है एवं रात्रि 10:00 बजे से प्रातः 6:00 बजे तक बढ़ता जाता है।


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