भीमसेनी एकादशी
भीमसेनी एकादशी , जिसे निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है। यह ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि (एकादशी) को मनाई जाती है। इसे सभी एकादशियों में सबसे कठिन और फलदायी माना जाता है। भीमसेनी एकादशी क्यों कहते हैं? इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी कहने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि पांडवों में सबसे बलशाली भीमसेन को भूख बहुत लगती थी और वे सभी एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते थे। तब उन्होंने महर्षि वेदव्यास से कोई ऐसा व्रत बताने का अनुरोध किया, जिसके पालन से उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाए। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। इस व्रत में बिना पानी और अन्न के रहना होता है। भीमसेन ने इस कठिन व्रत का पालन किया, जिसके बाद उन्हें सभी एकादशियों का फल प्राप्त हुआ। इसी कारण इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी कहा जाने लगा। महत्व: * सभी एकादशियों का फल: माना जाता है कि एक मात्र निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल की सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त होता है। * पापों का नाश: इस व्रत ...