देवी सिद्धिदात्री की कथा: जन्म, स्वरूप और महत्व | नवरात्रि का नवां दिन"• "Siddhidatri Devi Ki Puranik Katha aur Mahatva | Navratri Day 9"
देवी सिद्धिदात्री: सिद्धियों की देवी की दिव्य कथा नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के नवें स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – "सिद्धि" यानी आध्यात्मिक शक्तियाँ और "दात्री" यानी देने वाली। अर्थात, सिद्धिदात्री वह देवी हैं जो अपने भक्तों को अद्भुत सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। वे सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं, जिनसे साधक मोक्ष और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। देवी सिद्धिदात्री का जन्म और कथा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि का आरंभ हुआ, तब चारों ओर केवल अंधकार और शून्यता थी। उस समय आदिशक्ति का प्राकट्य हुआ। उन्होंने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को उत्पन्न किया, ताकि वे सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कार्य संभाल सकें। परंतु उस समय महादेव यानी भगवान शिव अर्धनारीश्वर रूप में थे – अर्थात आधे शरीर में पुरुष और आधे में स्त्री। महादेव ने सृष्टि के कार्यों के लिए शक्ति से प्रार्थना की, तब आदिशक्ति ने सिद्धिदात्री रूप में प्रकट होकर शिव को सभी आठ प्रमुख सिद्धियाँ प्रदान कीं – अणिमा, महिमा, ग...