माता कूष्माण्डा: शक्ति की चौथी स्वरूप / Mata Kushmanda: Fourth form of Shakti #Someshlahre.blogspot.com
माता कूष्माण्डा: शक्ति की चौथी स्वरूप नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी के चौथे स्वरूप को माता कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता है। इन्हें ब्रह्मांड की रचनाकार माना जाता है और इनका नाम "कूष्माण्डा" इसीलिए पड़ा क्योंकि यह ‘कूष्माण्ड’ (कुम्हड़ा या पेठा) को विशेष रूप से पसंद करती हैं। इनकी उपासना से भक्तों को आरोग्य, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माता कूष्माण्डा की उत्पत्ति कथा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार व्याप्त था और कहीं कोई प्रकाश नहीं था, तब माता कूष्माण्डा ने अपने हल्के से मंद मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड की रचना की। इसीलिए इन्हें ब्रह्मांड की सृजनकर्ता भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इनके तेज से दसों दिशाएँ आलोकित हो उठीं और संसार में जीवन का आरंभ हुआ। माँ कूष्माण्डा ही वह शक्ति हैं, जिन्होंने भगवान सूर्य को अपनी आभा प्रदान की, जिससे वे दैदीप्यमान हुए। उनकी शक्ति इतनी प्रबल है कि वे भगवान सूर्य के मध्य निवास करती हैं और उनकी ऊष्मा को सहन कर सकती हैं। इसीलिए इनकी उपासना करने से जी...