जेट स्ट्रीम का वर्गीकरण (Jet Stream Classification)
अक्षांशीय स्थिति पर ही जेट स्ट्रीम की क्रियाशीलता निर्भर करती है इस आधार पर जेटस्ट्रीम को निम्न वर्गों में रखा जा सकता है (1) ध्रुवीय जेट स्ट्रीम- यह जेट धाराएं ध्रुवीय सीमांत प्रदेशों में 45° से 65° के मध्य क्रियाशील रहती है इनकी क्रियाशीलता पर उष्ण सीमांत या वाताग्र का विशेष प्रभाव पड़ता है यहां पर अंध महासागर एवं निकटवर्ती स्थल खंड की उष्ण पछुआ पवन एवं ध्रुवों की ओर बहकर आने वाली शीतल पवन में लगभग 10 से 12 किलोमीटर ऊंचाई पर ताप व नमी में अधिक अंतर रहने से यह जेटस्ट्रीम महाद्वीप के मध्य और पूर्वी भाग में विशेष क्रियाशील बनी रहती है इनकी भंवरों में पवन की गति 250 से 400 किलोमीटर तक रहती है कभी-कभी इन के भीतरी भाग में नमी व गत्यात्मक प्रभाव से गति 600 किलोमीटर तक पहुंच सकती है। (2) उपोष्ण कटिबंधीय जेट स्ट्रीम- यह जेट स्ट्रीम शांत खंड से ऊपर 30° से 40° के मध्य विकसित होती है लगभग 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर 200 मिली बार वायुदाब के क्षेत्र मैं पवन की गति जेटस्ट्रीम की बाहरी सीमा पर 120 किलोमीटर एवं भीतरी भाग में भंवर में 200 से 360 किलोमीटर के...